MP Board अब साल में दो बार होंगी दसवीं और बारहवीं की मुख्य परीक्षाएं

मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल ने माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपी बोर्ड) द्वारा आयोजित होने वाली कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के स्वरूप में एक क्रांतिकारी बदलाव किया है। अब इन कक्षाओं की मुख्य और पूरक परीक्षाओं के प्रयोजन में संशोधन करते हुए वर्ष में दो बार मुख्य परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय को औपचारिक रूप देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 21 मार्च 2025 को राजपत्र में इसका प्रकाशन कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, अब मुख्य परीक्षा के बाद पूरक परीक्षा का आयोजन नहीं होगा, बल्कि दूसरी बार भी मुख्य परीक्षा ही आयोजित की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत छात्र कुछ या सभी विषयों में दोबारा परीक्षा देकर अपने अंकों में सुधार कर सकेंगे और अपना शैक्षणिक वर्ष बचा सकेंगे। यह बदलाव छात्रों के शैक्षणिक जीवन को आसान बनाने और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए इस बदलाव को विस्तार से समझते हैं और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।

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MP Board Do Bar Pariksha

दो बार परीक्षा का आयोजन: एक नई शुरुआत

माध्यमिक शिक्षा मंडल अब हाईस्कूल (कक्षा 10) और हायर सेकेंडरी (कक्षा 12) के लिए साल में दो मुख्य परीक्षाएं आयोजित करेगा। जहां तक संभव होगा, पहली मुख्य परीक्षा हर साल फरवरी-मार्च के महीने में और दूसरी मुख्य परीक्षा जुलाई-अगस्त में आयोजित की जाएगी। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपनी तैयारी को बेहतर करने और असफलता की स्थिति में तुरंत दूसरा मौका प्रदान करना है। पहले जहां पूरक परीक्षा केवल अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए होती थी, वहीं अब दूसरी मुख्य परीक्षा सभी छात्रों के लिए खुली होगी, चाहे वे उत्तीर्ण हों या अनुत्तीर्ण। यह बदलाव छात्रों के लिए लचीलापन लाएगा और उन्हें अपनी पढ़ाई को और बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद करेगा।

राजपत्र देखें : MP Board Do Bar Pariksha

अस्थायी प्रवेश की सुविधा: जोखिम के साथ अवसर

नई व्यवस्था के तहत, जो छात्र दूसरी परीक्षा में शामिल होंगे, उन्हें दूसरी परीक्षा के परिणाम घोषित होने तक अगली उच्चतर कक्षा में अस्थायी प्रवेश लेने की अनुमति दी जाएगी। यह अनुमति मंडल या संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्यों द्वारा दी जाएगी, लेकिन यह प्रवेश छात्रों के अपने जोखिम पर होगा। यदि छात्र दूसरी परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं, तो उनकी उपस्थिति की गणना मान्य की जाएगी और उनका प्रवेश स्थायी हो जाएगा। यह सुविधा उन छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगी जो पहली परीक्षा में असफल हो जाते हैं, लेकिन अगली कक्षा में पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं। इससे उनका समय बचेगा और वे शैक्षणिक सत्र से पीछे नहीं रहेंगे।

दूसरी परीक्षा में शामिल होने की पात्रता: सभी के लिए मौका

इस नई नीति के तहत दूसरी परीक्षा में शामिल होने की पात्रता को व्यापक बनाया गया है। निम्नलिखित छात्र इसके लिए योग्य होंगे:

  • जो छात्र पहली परीक्षा में एक या अधिक विषयों में अनुपस्थित या अनुत्तीर्ण रहे हों, वे दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
  • पहली परीक्षा में किसी विषय में उत्तीर्ण होने वाले छात्र भी अपने अंकों में सुधार के लिए दूसरी परीक्षा दे सकेंगे।
  • प्रायोगिक विषयों में अनुत्तीर्ण छात्र केवल प्रायोगिक या आंतरिक परीक्षा के अनुत्तीर्ण हिस्से में शामिल हो सकेंगे।

इसके अलावा, पहली परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्र भी यदि किसी कारण से अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे एक या अधिक विषयों में दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। यह व्यवस्था छात्रों को अपनी कमजोरियों को दूर करने और बेहतर अंक प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगी।

परीक्षा आवेदन और नियम: सख्ती के साथ लचीलापन

दूसरी परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन-पत्र भरना अनिवार्य होगा। यह शुल्क और आवेदन प्रक्रिया मंडल द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाएगी। हालांकि, एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि दूसरी परीक्षा के दौरान छात्र पहली परीक्षा में लिए गए विषयों में बदलाव नहीं कर सकेंगे। इसका मतलब है कि छात्र उसी विषय में परीक्षा दे सकेंगे, जिसमें उन्होंने पहली बार परीक्षा दी थी। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और एकरूपता बनी रहे।

परिणाम और पुनर्गणना: पारदर्शी प्रक्रिया

दूसरी परीक्षा का परिणाम मंडल के सभापति के आदेश से प्रकाशित होगा और इसके लिए परीक्षा समिति की बैठक की आवश्यकता नहीं होगी। यह प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाएगा। इसके साथ ही, दूसरी परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र मंडल के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार अंकों की पुनर्गणना के लिए आवेदन कर सकेंगे। इससे छात्रों को यह विश्वास रहेगा कि उनके परिणाम में कोई त्रुटि होने पर उसे सुधारा जा सकेगा।

विनियम में संशोधन: औपचारिक बदलाव

इस बदलाव को लागू करने के लिए अध्याय छब्बीस, विनियम 197 की मद ‘घ’ में ‘पूरक’ शब्द के स्थान पर ‘द्वितीय’ शब्द स्थापित किया जाएगा। यह संशोधन नए नियमों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है और पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर देता है। इसके अलावा, मंडल समय-समय पर दूसरी परीक्षा के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा, जिन्हें परीक्षा समिति के अनुमोदन से लागू किया जाएगा।

निष्कर्ष: शिक्षा में सकारात्मक बदलाव

मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है। साल में दो बार मुख्य परीक्षा आयोजित होने से छात्रों को अपनी कमियों को सुधारने और बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। यह कदम न केवल शैक्षणिक दबाव को कम करेगा, बल्कि छात्रों को अपनी क्षमताओं को और बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान करेगा। यह बदलाव मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक सुधार के रूप में देखा जा रहा है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. मध्यप्रदेश में साल में दो बार मुख्य परीक्षा क्यों शुरू की गई है?
इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपनी तैयारी को बेहतर करने और असफलता की स्थिति में तुरंत दूसरा मौका देना है। यह व्यवस्था छात्रों के शैक्षणिक वर्ष को बचाने और अंकों में सुधार के लिए लचीलापन प्रदान करती है।

2. पहली और दूसरी परीक्षा कब आयोजित होगी?
पहली मुख्य परीक्षा फरवरी-मार्च में और दूसरी मुख्य परीक्षा जुलाई-अगस्त में आयोजित की जाएगी, जहां तक संभव होगा।

3. क्या दूसरी परीक्षा में शामिल होने के लिए शुल्क देना होगा?
हां, दूसरी परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन-पत्र भरना अनिवार्य होगा। शुल्क की राशि मंडल द्वारा तय की जाएगी।

4. क्या दूसरी परीक्षा में विषय बदल सकते हैं?
नहीं, दूसरी परीक्षा के दौरान छात्र पहली परीक्षा में लिए गए विषयों में बदलाव नहीं कर सकेंगे।

5. क्या पहली परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र भी दूसरी परीक्षा दे सकते हैं?
हां, पहली परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र भी अपने अंकों में सुधार के लिए दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।

6. अस्थायी प्रवेश का क्या मतलब है?
दूसरी परीक्षा के परिणाम आने तक छात्र अगली कक्षा में अपने जोखिम पर अस्थायी प्रवेश ले सकेंगे। यदि वे उत्तीर्ण हो जाते हैं, तो उनका प्रवेश स्थायी हो जाएगा।

7. प्रायोगिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए क्या नियम है?
ऐसे छात्र केवल प्रायोगिक या आंतरिक परीक्षा के अनुत्तीर्ण हिस्से में दूसरी परीक्षा दे सकेंगे।

8. दूसरी परीक्षा का परिणाम कैसे घोषित होगा?
दूसरी परीक्षा का परिणाम मंडल के सभापति के आदेश से प्रकाशित होगा, बिना परीक्षा समिति की बैठक के।

9. क्या अंकों की पुनर्गणना का विकल्प होगा?
हां, दूसरी परीक्षा के छात्र मंडल के प्रावधानों के अनुसार अंकों की पुनर्गणना के लिए आवेदन कर सकेंगे।

10. यह नियम कब से लागू होगा?
यह निर्णय 21 मार्च 2025 को राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है और इसके तहत व्यवस्था जल्द ही लागू होगी।

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