MP Board 10th Hindi One Liner: एमपी बोर्ड 10वीं परीक्षा 2024-25 की तैयारी के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की तैयारी के लिए सबसे आसान तरीका MP Board 10th One Liner है जिससे सभी विषयों के महत्त्वपूर्ण प्रश्नो को सरलता एवं आसानी से तैयार किया जा सकता है। “MP Board 10th Hindi One Liner” नोट्स जो लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल (DPI) द्वारा सुझाए गए हैं, के माध्यम से MP Board 10th Hindi की तैयारी बेहद आसान हो सकती है। ये संक्षिप्त और सारगर्भित MP Board 10th Hindi One Liner परीक्षा के सभी विषयों के मुख्य बिंदुओं को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जिससे छात्रों को पाठ्यक्रम के कठिन हिस्सों को समझने और याद रखने में मदद मिलती है। इस विधि से अर्थात MP Board 10th Hindi One Liner के प्रयोग से अध्ययन करने पर समय की बचत होती है और महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रभावी रूप से दोहराया जा सकता है, जिससे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
MP Board 10th Hindi One Liner Specification :
एमपी बोर्ड 10वीं “MP Board 10th Hindi One Liner ” नोट्स का महत्व परीक्षा की तैयारी को सरल और प्रभावी बनाना है। ये MP Board 10th One Liner परीक्षा के मुख्य बिंदुओं को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे छात्रों को कठिन विषयों को जल्दी समझने और याद रखने में मदद मिलती है। लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल (DPI) द्वारा सुझाए गए इन MP Board 10th One Liner नोट्स का उद्देश्य छात्रों को जटिल पाठ्यक्रम को सरल भाषा में समझाना है, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा का सामना कर सकें। ये MP Board 10th One Liner समय की बचत करते हैं और पुनरावलोकन के लिए बेहद उपयोगी होते हैं, जिससे छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में सहायता मिलती है।
Covered Topics MP Board 10th Hindi One Liner
MP Board 10th Syllabus and Blueprint के अनुसार क्षितिज भाग 2 काव्य खण्ड पर 17 अंक, काव्य बोध- पर 10 अंक , क्षितिज भाग – 2 गद्य खण्ड- पर 17 अंक, भाषा बोध – पर 8 अंक एवं कृतिका भाग – 2 पर 8 अंक कुल 60 अंकों की तैयारी हेतु लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के द्वारा विषय विशेषज्ञों के माध्यम से तैयार किए गए सारगर्भित MP Board 10th Hindi One Liner के माध्यम से Keyword के रूप मे One Liner अर्थात एक वाक्य मे महत्त्वपूर्ण अंश दिये जा रहे हैं जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं । जिनके अध्ययन से निश्चित तौर पर हाई स्कूल अर्थात 10वी के छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी बहुत आसानी से कर सकते हैं ।
S.No. | Covered Chapter for MP Board 10th Hindi One Liner | आबंटित अंक |
1 | क्षितिज भाग 2 काव्य खण्ड | 17 |
2 | काव्य बोध- | 10 |
3 | क्षितिज भाग – 2 गद्य खण्ड- | 17 |
4 | भाषा बोध – | 8 |
5 | कृतिका भाग – 2 | 8 |
6 | अपठित बोध- अपठित वाक्यांश/गद्यांश | 4 |
7 | पत्र लेखन- औपचारिक पत्र/अनौपचारिक पत्र | 4 |
8 | • अनुच्छेद लेखन/संवाद लेखन/विज्ञापन लेखन/सूचना लेखन • निबंध लेखन (रूपरेखा सहित) | 7 |
कुल योग | 75 |
MP Board 10th Hindi One Liner Pdf
क्षितिज भाग 2
पद्ध खंड
पाठ 1
सुर के पद•
- सूरदास का जन्म सन 1478 में हुआ था।
- सूरदास का जन्म मान्यता के अनुसार उनका जन्म स्थान दिल्ली के पास सीही में माना जाता है।
- सूरदास के गुरु वल्लभाचार्य हैं। (2022) (2023) (2024)
- सूरदास अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।
- सूरदास मथुरा और वृंदावन के बीच गऊ घाट पर रहते थे
- सूरदास श्रीनाथ जी के मंदिर में भजन-कीर्तन करते थे ।
- सूरदास का निधन सन् 1583 में पारसौली में हुआ था। सूरदास के तीन ग्रंथ हैं।
- सूरदास के तीनों ग्रंथों के नाम- ‘सूरसागर’, ‘साहित्य लहरी’, ‘सूरसारावली’ है।
- सूरदास का ‘सूरसागर’ सर्वाधक लोकप्रिय है। (2022)
- सूरदास ‘वात्सल्य’ और श्रृंगार के श्रेष्ठ कवि हैं।
- सूरदास कृष्ण के अनन्य भक्त थे ।
- सूरदास की भाषा ब्रज है।
- सूरदास के पद लोकगीतों की परंपरा की श्रेष्ठ कड़ी हैं।
- सूरदास के पद’ सूरसागर के भ्रमरगीत से चार पद लिए गए हैं।
- कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया।
- कृष्ण ने उद्धव के द्वारा गोपियों को समझाने योग संदेश भेजा।
- कृष्ण ने योग संदेश के माध्यम से गोपियों की विरह वेदना को शांत करने का प्रयास किया।
- गोपियों को उद्धव का शुष्क संदेश पसंद नही आया।
- योग-संदेश के समय भौरा आ जाने से भ्रमर गीत का प्रारंभ हुआ ।
- गोपियों ने भ्रमर के बहाने उद्धव पर व्यंग्य बाण छोड़े ।
- गोपियों को योग संदेश कड़वी ककड़ी के समान लगता है।
- गोपियों ने उद्धव को राज धर्म याद दिलाया।
- राजा का धर्म प्रजा का हित करना है।
- गोपियों ने उद्धव को बड़भागी कहकर व्यंग्य किया ।
- ‘अपरस’ का अर्थ अछूता है।
- ‘पुरइनि पात’ का अर्थ कमल का पत्ता है।
- उद्धव के व्यवहार की तुलना ‘तेल लगी गगरी’, और ‘कमल के पत्ते से की गई है। (2022) ‘कमल के पत्ते’ एवं ‘तेल लगी गागरी’ की विशेषता होती है कि दोनों पर पानी का प्रभाव नहीं होता ।
- गोपियों ने कहा कि उद्धव अभी तुमने प्रेम रूपी नदी में अपने पैर भी नहीं डुबाये हैं।
- श्रीकृष्ण से अनन्य प्रेम कारण गोपियाँ स्वयं को भोली-भाली एवं अबला बता रही हैं।
- गोपियाँ कहतीं हैं कि जिस प्रकार चींटियाँ गुड़ से लिपटती हैं, उसी प्रकार हम भी कृष्ण के प्रेम में अनुरक्त हैं।
- ‘मन की मन ही माँझ रही ‘ का अर्थ है कि गोपियों के मन की बात मन में ही रह गयी।
- गोपियों को कृष्ण के वापस आने की आशा थी इसीलिए उन्होंने अपने तन व मन की व्यथा को सहा था ।
- गोपियों की विरह अग्नि योग संदेश को सुनकर और बढ़ गई।
- ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा की बात की जा रही है।
- हारिल एक पक्षी है जो अपने पैरों में सदैव एक लकड़ी को पकड़े रहता है।
- गोपियों ने श्रीकृष्ण को मन, कर्म, वचन से अपने हृदय में सदा के लिए वसा लिया है।
- गोपियाँ सोते-जागते- सपने में एवं दिन-रात कृष्ण के नाम का जाप करती रहती हैं।
- ‘व्याधि’ का अर्थ- रोग, पीड़ा पहुँचाने वाली वस्तु होता है।
- गोपियों ने योग संदेश उन्हीं को देने की बात कही है जिनके मन चंचल है एवं चकरी के समान है।
- गोपियों के अनुसार कृष्ण पहले से ही चतुर थे और मथुरा जाकर राजनीति का ग्रंथ पढ़ लिया है।
- गोपियाँ कहती हैं कि पहले के लोग भले एवं सज्जन होते थे जो दूसरों के हित के लिए घूमते-फिरते थे और एक कृष्ण हैं जो दूसरों का मन चोरी किये फिरते हैं।
- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म है- प्रजा को सताया न जाए।
- गोपियाँ कृष्ण से अपना मन माँग रही हैं जो वे अपने साथ ले गये हैं।
- गोपियाँ तर्कपूर्ण ढंग से अपनी बात रखती थीं और किसी भी बात को कहने में हिचकती नहीं थीं ।
- सूरदास का भावपक्ष
i. वात्सल्य और श्रृंगार रस का प्रयोग किया है।
ii. सूरदास की भक्ति पुष्टिमार्गीय है। - कलापक्ष
i. सूरदास जी के पदों में कोमलकांत पदावली है।
ii. सूर की भाषा में संगीतात्मकता एवं सजीवता है।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रकाशित वन लाइनर
MPBoardPdf Team द्वारा प्रकाशित एवं निर्मित वन लाइनर
पाठ 2
राम लक्षमण परशुराम संवाद
- तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजपुर गाँव में हुआ ।
- तुलसीदास को गुरुकृपा से रामभक्ति का मार्ग मिला।
- ‘रामचरितमानस’ तुलसीदास की प्रमुख रचना है।
- तुलसीदास की अन्य रचनाएँ- ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘दोहावली’, ‘कृष्णगीतावली’ एवं ‘विनयपत्रिका’ हैं। (2023)
- ‘रामचरित मानस’ अवधी भाषा में लिखा गया है।
- ‘रामचरित मानस’ का मुख्य छंद चौपाई है।
- ‘विनयपत्रिका’ की रचना गेय पदों में हुई है।
- ‘तुलसीदास” की रचनाएँ प्रबंध और मुक्तक दोनों प्रकार के काव्यों का उत्कृष्ट रूप है।
- ‘राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद’ ‘रामचरित मानस’ के बालकांड से लिया गया है।
- राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद में वीर रस की प्रधानता है।
- सीता स्वयंवर में राम लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ आए थे ।
- परशुराम अपने गुरु शिव के धनुष के टूटने पर क्रोधित हो गए थे।
- ‘भंजनिहारा ‘ शब्द का अर्थ है तोड़ने वाला।
- शिव धनुष को तोड़ने वाला मेरे (परशुराम) लिए सहस्त्रबाहु के समान शत्रु हैं।
- लक्ष्मण ने व्यंग्य करते हुए कहा कि हमने बचपन में ऐसे कई धनुष तोड़े हैं, इस धनुष पर इतनी ममता क्यों ?
- राम स्वभाव से शांत एवं विनम्र थे।
- लक्ष्मण क्रोधी स्वभाव के थे ।
- लक्ष्मण ने तर्क दिया कि शिव धनुष पुराना था और राम के छूते ही टूट गया।
- परशुराम क्षत्रिय कुल के विरोधी हैं, उन्होंने कई बार इस पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर ब्राह्मणों को दान किया है।
- तुलसीदास के गुरु नरहरि दास थे।
- परशुराम के फरसे के डर से गर्भ में पल रहा शिशु भी मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
- ‘कुम्हड़बतिया’ शब्द का अर्थ बहुत कमजोर, निर्बल व्यक्ति या कुम्हड़े का बहुत छोटा फल होता है ।
- लक्ष्मण के अनुसार वीर योद्धा स्वयं अपनी प्रशंसा नहीं करते एवं अपनी वीरता का प्रदर्शन युद्ध भूमि में करते हैं। (2022)
- विनयपत्रिका एवं कवितावली की रचना ब्रज भाषा में की गई है। (2023)
- ‘रिसाई’ शब्द का अर्थ ‘क्रोध’ करना होता है । (2024)
- भगवान शंकर का धनुष राम ने तोड़ा । (2022)
पाठ 3
आत्म कथ्य
कवि काल भाव-पक्ष कला-पक्ष
जयशंकर प्रसाद
जन्म – 1889 मृत्यु- 1937 छायावाद के प्रवर्तक कवि
कविताओं में दु:ख,आकुलता, उत्साह, प्रेम आदि भावों को बहुत सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है। प्रकृति का नवीकरण, शृंगार रस का प्रयोग |
- जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ।
- जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ ‘चित्राधार’, ‘कानन कुसुम’, ‘झरना’, ‘आँसू’, ‘लहर’ और ‘कामायनी’ है ।
- जयशंकर प्रसाद की कामायनी आधुनिक हिन्दी की श्रेष्ठतम काव्य-कृति है । (2023) (2024)
- जयशंकर प्रसाद कवि के साथ-साथ गद्यकार भी थे । ‘अजातशत्रु’, ‘चन्द्रगुप्त’, ‘स्कंदगुप्त’, ‘ध्रुवस्वामिनी’ उनके नाटक हैं।
- प्रेमचंद के सपांदन में हंस (पत्रिका) का संपादन किया गया।
- कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है कि उसकी आत्मकथा का उपहास न करें ।
- कवि कहता है कि हर भौंरा फूलों पर मंडराता हुआ, गुनगुनाता हुआ अपनी कुछ कहानी कहता है।
- कवि के अनुसार मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ निराशा का प्रतीक है।
- कवि को अपनी आत्मकथा सुनाने में अभी ‘समय नहीं हुआ है’ क्योंकि कवि को अभी जीवन में कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं हुई है ।
- स्मृति पाथेय से कवि का आशय स्मृति रूपी संबल से है ।
- कवि के आलिंगन में सुख आते-आते रह गया ।
- ‘प्रवंचना ‘ शब्द का अर्थ-धोखा देना होता है ।
पाठ 4
उत्साह, अट नहीं रही है
कवि काल भाव-पक्ष कला-पक्ष
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
जन्म – 1899
मृत्यू- 1961
छायावाद के प्रवर्तक कवि रूढ़ियों के विरोधी वीर रस, ओज गुण की प्रधानता आपकी भाषा धारा प्रवाह शुद्ध खड़ी बोली है
मुक्त छंद का विकास हुआ है। प्रकृति चित्रण ।
- ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ की प्रमुख रचनाएँ- ‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘कुकुरमुत्ता’ एवं ‘नए पत्ते’ । ‘निराला रचनावली’ के आठ खंडों में उनका संपूर्ण साहित्य प्रकाशित है । (2024)
- ‘उत्साह’ बादलों को संबोधित करते हुए एक आह्वान गीत है ।
- ‘बादल’ निराला का प्रिय विषय है।
- ‘उत्साह’ कविता में ललित कल्पना और क्रांति-चेतना दोनों हैं । क्रांति, उत्साह से आती है । (2023)
- बादलों को नवजीवन वाले कहा गया है।
- ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन मास (बसंतऋतु) की सुंदरता का वर्णन है । (2022)
- बादल अज्ञात दिशा से आते हैं।
- अट नहीं रही है से आशय है कि फागुन की सुदंरता प्रकृति में समा नहीं रही है ।
- विश्व के सभी जन गर्मी से व्याकुल हो रहे हैं ।
- पत्तों से लदी डाल, कहीं लाल एवं कहीं हरी है ।
- निराला ने बादलों की तुलना बालकों के घुँघराले बालों से की ।
- बसंत ऋतु जब सांस लेती है तो सुगंध चारों और फैल जाती है।
- ‘उत्साह’ कविता में बादल हदय में उत्साह के संचार और संघर्ष के लिए प्रेरित करता है । (2024)
पाठ 5
यह दंतुरित मुस्कान फसल
- नागार्जुन की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं- ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखों वाली’, ‘हजार-हजार बाहों वाली (2024)
- नागार्जुन का सम्पूर्ण कृति नागार्जुन रचनावली के साथ खंडों में प्रकाशित है।
- मातृभाषा मैथिली में नागार्जुन ‘यात्री’ नाम से प्रतिष्ठित हैं।
- नागार्जुन को आधुनिक कबीर भी कहा जाता है ।
- “यह दंतुरित मुस्कान’ कविता में छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान का वर्णन है ।
- कवि का मानना है कि बच्चे की मुस्कान की सुन्दरता में ही जीवन का संदेश है।
- दंतुरित मुस्कान की मोहकता तब और बढ़ और जाती है जब उसके साथ नजरों का बाँकपन जुड़ जाता है।
- फसल शब्द सुनते ही खेतों में लहलहाती फसल आँखों के सामने आ जाती है।
- फसल ढेर सारी नदियों के पानी का जादू है, किसान के हाथों के स्पर्श की गरिमा है, कई खेतों की धर्म है। 2024)
- दही, घी, शहद, जल और दूध के योग को पंचामृत कहते हैं ।
- ‘कनखी’ का अर्थ तिरछी निगाह से देखना है ।
- ‘नागार्जुन’ का मूल नाम ‘वैद्यनाथ मिश्र’ था।
पाठ 6
संगतकार
- मंगलेश डबराल का जन्म टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) के कालापानी गाँव में हुआ।
- मंगलेश डबराल भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले ‘पूर्वग्रह’ में सहायक संपादक हुए।
- मंगलेश डबराल लखनऊ से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में भी नौकरी की।
- मंगलेश डबराल के चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए- ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज भी एक जगह ‘ है ।
- मंगलेश डबराल को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व पर विचार किया है। मुख्य गायक की आवाज चट्टान जैसी भारी थी। (2023)
- संगतकार की वह सुंदर, कमजोर काँपती हुई आवाज, शायद मुख्य गायक का छोटा भाई या शिष्य था ।
- संगतकार के माध्यम के कवि ने उन व्यक्तियों की ओर संकेत किया जो मुख्य गायक के गायन में उत्साह बढ़ाने का कार्य करते हैं । (2023)
- सफलता के पास शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है, तब उसे सहयोगी हिम्मत धैर्य उत्साह बढ़ाकर सँभालता है।
- संगतकार मुख्य गायक के सुर में सुर मिलाकर उसे बुलंदी पर पहुँचाने में मदद करता है।
- ध्वनि मध्य सप्तक के ऊपर हो तो ‘तार सप्तक’ कहते हैं ।
- संगतकार मुख्य गायक का ढाँढस बँधाने का कार्य करता है।
क्षितिज भाग 2
गद्ध खंड
पाठ 1
नेताजी का चश्मा
लेखक- स्वयं प्रकाश
- स्वयं प्रकाश का जन्म सन् 1947 में इन्दौर (मध्य प्रदेश) में हुआ ।
- स्वयं प्रकाश ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी की। स्वयं प्रकाश ने ‘वसुधा’ पत्रिका का संपादन कार्य किया ।
- स्वयं प्रकाश आठवें दशक में उभरे हुए समकालीन कहानी के महत्व महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं।
- स्वयं प्रकाश के तेरह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
- ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’ और ‘संधान’ आदि स्वयं प्रकाश की उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।
- स्वयं प्रकाश के चर्चित उपन्यास ‘बीच में विनय’ और ‘ईंधन ‘ है ।
- स्वयं प्रकाश को पहल सम्मान, वनमाली पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।
- स्वयं प्रकाश का निधन सन् 2019 में हुआ।
- स्वयं प्रकाश मध्यमवर्गीय जीवन के कुशल चितेरे लेखक हैं।
- स्वयं प्रकाश की कहानियों में वर्ग शोषण के विरुद्ध चेतना, सामाजिक जीवन में जाति, सम्प्रदाय और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ प्रतिकार का स्वर भी है।
- स्वयं प्रकाश की कहानियाँ रोचक किस्सागोई शैली में लिखी गई हैं।
- ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ ‘कहानी’ विधा में लिखा गया है
- ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है।
- हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में कस्बे से गुजरते थे ।
- ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी का मूलभाव देश भक्ति की भावना है।
- चश्मे वाले का नाम कैप्टन था।
- कस्बे के चौराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा लगी थी ।
- नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा (मूर्ति) नगर पालिका द्वारा लगवाई गई थी। (2022)
- नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा संगमरमर से बनी थी।
- सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा (मूर्ति) को देखते ही ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो……….. . के. नारे.. याद आने लगते थे।
- कैप्टन का काम चश्मे बेचने का था ।
- हालदार साहब के चेहरे पर कौतुक भरी मुस्कान फैल गई । नेताजी की मूर्ति फौजी वर्दी में थी ।
- प्रतिमा बनाने वाले का नाम मोतीलाल था। (2023)
- प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा बच्चों के द्वारा लगाया गया था।
- नेताजी की मूर्ति दो फुट ऊँची थी। (2024)
- नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा बनाने वाले ड्राइंग मास्टर मोतीलाल थे।
- नेताजी सुभाषचन्द्र की प्रतिमा पर चश्मा नहीं था । (2022)
- चश्मे वाले की भक्ति के सामने हालदार साहब नतमस्तक थे ।
- देशभक्तों के प्रति श्रद्धा व देशप्रेम के कारण सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को कैप्टन कहते थे ।
पाठ 2
बाल गोबिन भगत
लेखक- रामवृक्ष बेनीपुरी
- रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फर जिले के बेनीपुर गाँव में हुआ था।
- रामवृक्ष बेनीपुरी ने दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे सन् 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए।
- 15 वर्ष की अवस्था में रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी ।
- रामवृक्ष बेनीपुरी ने तरुण भारत, किसान मित्र, बालक, युवक, योगी, जनता, जनवाणी और नयी धारा आदि दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
- रामवृक्ष बेनीपुरी का साहित्य ‘बेनीपुरी रचनावली’ के आठ खण्डों में प्रकाशित है।
- रामवृक्ष बेनीपुरी की महत्त्वपूर्ण रचनाएँ- पत्तियों के देश में (उपन्यास), चिता के फूल (कहानी), अंबपाली (नाटक), माटी की मूरतें (रेखाचित्र) पैरों में पंख बाँधकर (यात्रा-वृत्तांत) जंजीरे और दीवारे (संस्मरण) आदि है। (2022)
- रामवृक्ष बेनीपुरी को विशिष्ट शैलीकार होने के कारण ‘कलम का जादूगर’ कहा जाता है। (2024) बालगोबिन भगत रेखाचित्र सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करता है।
- बालगोबिन भगत की मृत्यु का कारण बीमारी था।
- बालगोबिन भगत कबीरदास के आदर्शों पर चलते थे ।
- बालगोबिन भगत का इकलौता बेटा सुस्त और बोदा था ।
- बालगोबिन भगत अपनी जीविका खेतीबाड़ी करके चलाते थे ।
- बालगोबिन भगत कबीर को साहब मानते थे और कबीर के ही पद गाते थे ।
- बालगोबिन भगत गाते समय खँजड़ी बजाते थे ।
- बालगोबिन भगत अपने खेतों में धान की रोपणी करते थे ।
- बालगोबिन भगत मंझोले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे।
- बालगोबिन भगत कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी एवं गले में तुलसी की जड़ों की बेडौल माला बांधे रह थे ।
- बालगोबिन भगत के मस्तक पर हमेशा रामानंदी चन्दन लगा रहता था ।
- बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ कार्तिक मास से शुरु होकर फागुन मास तक चलती थी।
- बालगोबिन भगत आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेमी-प्रेमिका का सम्बन्ध मानते थे ।
- ‘कुहासा’ शब्द का अर्थ कोहरा है। (2024)
- पूर्व की ओर से बहने वाली हवा पुरवाई कहलाती है।
- ‘निस्तब्धता’ का शाब्दिक अर्थ सन्नाटा है।
- सवेरे किया जाने वाला जलपान ‘कलेवा’ कहलाता है।
- प्रातः काल की लालिमा लोही कहलाती है।
- भगत की पुत्रवधु उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि इकलौते पुत्र की मृत्यु के बाद भगत
- की देखभाल करने वाला कोई न था। (2022) (2024)
- रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा सरल एवं व्यावहारिक हिन्दी है । भाषा में तत्सम एवं तद्भव अंग्रेजी एवं उर्दू के शब्दों का प्रयोग है। (2022)
पाठ 3
लखनवी अंदाज
लेखक – यशपाल
- यशपाल का जन्म सन् 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ ।
- यशपाल ने प्रारंभिक शिक्षा काँगड़ा में तथा बी. ए. शिक्षा लाहौर के नेशनल कॉलेज से प्राप्त की। लाहौर के नेशनल कॉलेज में यशपाल जी का परिचय भगत सिंह और सुखदेव से हुआ ।
- यशपाल स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी धारा से जुड़ाव के कारण जेल भी गए।
- यशपाल की रचनाओं में आम आदमी के सरोकारों की झलक मिलती है तथा यशपाल यथार्थवादी शैली के विशिष्ट रचनाकार हैं।
- यशपाल के कहानी संग्रहों में ज्ञानदान, तर्क का तूफान, पिंजरे की उड़ान, वा दुलिया, फूलों का कुर्ता उल्लेखनीय हैं।
- झूठा सच, अमिता, दिव्या, पार्टी कामरेड, दादा कामरेड, मेरी तेरी उसकी बात आदि यशपाल के प्रमुख उपन्यास हैं। (2023)
- लखनऊ का बालमखीरा प्रसिद्ध है।
- लेखक यशपाल कनखियों से नवाब साहब की ओर देख रहे थे ।
- लेखक यशपाल ने सेकण्ड क्लास ट्रेन का टिकट लिया ।
- ‘सफेदपोश ‘ का शाब्दिक अर्थ भद्र व्यक्ति होता है।
पाठ 4
एक कहानी यह भी
मन्नू भण्डारी
- मन्नू भंडारी का जन्म गाँव भानपुरा, जिला मंदसौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। (2022)
- हिन्दी कथा साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर मन्नू भंडारी की प्रमुख रचनाएँ -एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, यही सच है, त्रिशंकु (कहानी-संग्रह), आपका बंटी, महाभोज (उपन्यास) इत्यादि हैं। (202
- 3) मन्नू भंडारी ने फिल्म एवं टेलीविजन धारावाहिकों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं।
- मन्नू भंडारी की रचनाओं में स्त्री मन से जुड़ी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति भी देखने को मिलती है ।
- मन्नू भंडारी के आन्दोलनकारी व्यवहार से तंग आकर प्रिंसिपल ने उनके पिता को बुलाया ।
- जैनेन्द्र का ‘सुनीता’ उपन्यास मन्नू भंडारी को बहुत अच्छा लगा ।
- मन्नू भंडारी के पिता रसोई को भटियारखाना कहते थे ।
- मन्नू भंडारी की बड़ी बहन का नाम सुशीला था। मन्नू भंडारी मूलतः एक कहानीकार हैं। शीला अग्रवाल मन्नू भंडारी की हिन्दी विषय की प्राध्यापिका थीं।
- मन्नू भंडारी का विवाह राजेन्द्र यादव से हुआ था ।
- भारत विभाजन की त्रासदी का मार्मिक दस्तावेज ‘झूठा सच’ उपन्यास को माना गया है।
- शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी- 15 अगस्त 1947 को देश का स्वतन्त्र होना ।
- मन्नू भण्डारी के व्यक्तित्त्व पर उनके पिता एवं हिन्दी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा। (2023)
पाठ 5 नौबतखाने मे इबादत
लेखक – यतीन्द्र मिश्र
- यतीन्द्र मिश्र का जन्म अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
- यतीन्द्र मिश्र के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं- यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, ‘ड्योढ़ी पर आलाप’ ।
- यतीन्द्र मिश्र ने शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक गिरिजा लिखी ।
- ‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक शैली में लिखा गया व्यक्ति- चित्र है।
- बिस्मिल्ला खाँ की 80 वर्ष की उम्र में साधना चलती रही।
- यतीन्द्र मिश्र संगीत की शास्त्रीय परम्परा के गहरे जानकर हैं।
- उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के लिए प्रसिद्ध थे । बिस्मिल्ला खाँ का वास्तविक नाम अमीरुद्दीन था ।
- अमीरूद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ था।
- शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है और रीड अन्दर से पोली होती है।
- रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो सोन नदी के किनारे पाई जाती है। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
- अमीरूद्दीन के शहनाई गुरु अलीबख्श खाँ थे ।
- बिस्मिल्ला खाँ की पंसदीदा हिरोइन सुलोचना थी। काशी संस्कृति की पाठशाला है।
- शास्त्रों में काशी आनंद कानन के नाम से विख्यात है।
- बिस्मिल्ला खाँ की अपार श्रद्धा काशी विश्वनाथ में थी ।
- बिस्मिल्ला खाँ को भारत रत्न के सर्वश्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित किया गया ।
- पंचगंगा घाट काशी में स्थित है।
- काशी में मरण भी मंगल माना गया है।
- इस धरती पर शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं है।
- काशी में संगीत आयोजन एक प्राचीन एवं अद्भुत परम्परा है।
- बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक माना गया है। शहनाई शुभ कार्यों में बजाई जाती है। शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।
- फूँक कर बजाए जाने वाले सुषिर वाद्य यन्त्रों में बाँसुरी, शहनाई, नागस्वरम्, बीन है।
- आघात से बजाए जाने वाले धातु वाद्य यन्त्र में झाँझ, मंजीरा और घुँघरू हैं, जिन्हें घनवाद्य कहा जाता है।
- चमड़े से मढ़े अवनद्ध वाद्यों में तबला, ढोलक, मृदंग आदि हैं। (2022)
- डुमराँव में भारतरत्न बिस्मिल्ला खाँ का जन्म हुआ तथा शहनाई को बजाने में काम आने वाली रिड के लिए घास भी डुमराँव में पाई जाती है। (2023)
- बिस्मिल्ला खाँ हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे। (2024)
पाठ 6
संस्कृति
लेखक – भदंत आनंद कौसल्यायन
- भदंत आनंद कौसल्यायन का जन्म पंजाब के अंबाला जिले के सोहाना गाँव में हुआ था ।
- अनन्य हिन्दी सेवी कौसल्यायन जी बौद्ध भिक्षु थे, उन्होंने देश-विदेश की काफी यात्राएँ की तथा बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
- भदंत आनंद कौसल्यायन लम्बे अर्से तक वर्धा में रहे। भदंत की 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं।
- भदंत की प्रमुख रचनाएँ भिक्षु के पत्र, जो भूल न सका, आह! ऐसी दरिद्रता, बहानेबाजी, यदि बाबा न होते, रेल का टिकट, कहाँ क्या देखा आदि है।
- भंदत गाँधी जी के व्यक्तित्त्व एवं कृतित्त्व से विशेष प्रभावित थे ।
- संस्कृति निबंध हमें सभ्यता और संस्कृति से जुड़े अनेक जटिल प्रश्नों से टकराने की प्रेरणा देता है।
- लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन ने सभ्यता को संस्कृति का परिणाम कहा है।
- “संस्कृति’ पाठ में न्यूटन को संस्कृत मानव कहा गया है।
- गुरुत्वाकर्षण का आविष्कार न्यूटन ने किया ।
- मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है ।
- एक संस्कृत व्यक्ति किसी नई चीज की खोज करता है। (2023) आग के आविष्कार के पीछे पेट की ज्वाला की प्रेरणा रही होगी ।
- भदंत आनंद कौसल्यायन के बचपन का नाम हरनाम दास था।
भाषा बोध - अवधी भाषा आज उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के लखनऊ, रामबरेली, सुल्तानपुर आदि क्षेत्रों में बोली जाती है।
- दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत या वार्तालाप संवाद कहलाता है ।
- आत्मकथा में लेखक स्वयं जीवन-यात्रा (सम्पूर्ण जीवन का ) वर्णन आत्मीयता से व्यवस्थित रूप से रखता है।
- वाक्य में जब क्रिया अपना रूप बदलती है, कभी क्रिया कर्ता के अनुसार, कभी कर्म के ‘अनुसार अपना रूप बनाती है, क्रिया का यही रूप वाक्य कहलाता है। (2022)
- वाक्य के तीन प्रकार होते हैं। (2022)
- प्रवंचना शब्द का शाब्दिक अर्थ धोखा है। (2022)
- दशानन में बहुब्रीहि समास है। (2022)
- अधिक बोलने वाला वाचाल होता है। (2022)
- ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ लोकोक्ति है। (2022)
- समास छ: प्रकार के होते हैं। (2022)
- ‘सब चला जाए’ भाववाच्य वाक्य है। (2022)
- नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना। (2022)
प्रयोग : बिल्ली को देख चूहे नौ दो ग्यारह हो गए हैं। - आँख का तारा – सबसे प्यारा होना। (2022)
प्रयोग- मोहन सबकी आँख का तारा है। - ‘प्रतिदिन ‘ शब्द का समास विग्रह ‘दिन दिन’ है। (2022)
यह अव्ययीभाव समास का उदाहरण है। - ‘राजपुत्र’ शब्द का समास विग्रह ‘राजा का पुत्र’ है ।
(2022) यह षष्ठी तत्पुरुष समास का उदाहरण है। - सन्धि- समास में अन्तर है। (2022)
- क्रिया की विशेषता का बोध कराने वाले शब्द क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
- क्रिया के विशेषण के चार प्रकार होते हैं।
(1) कालवाचक, (2) स्थानवाचक, (3) रीतिवाचक, (4) परिमाणवाचक - क्रिया के होने के समय का बोध होता है वे कालवाचक क्रिया विशेषण होते हैं।
- कालवाचक विशेषण शब्द ये हैं- अभी, अब, कल, परसों, कब, कभी, फिर, बाद, पीछे, कबका आदि ।
- क्रिया के होने के स्थान / दिशा का बोध होता है वे स्थानवाचक क्रिया विशेषण होते हैं।
- स्थान वाचक विशेषण शब्द ये हैं- वहाँ, यहाँ, जहाँ, तहाँ तक, कहाँ तक, आगे, इधर, उधर, वहाँ, घर-घर आदि ।
- रीतिवाचक क्रिया – विशेषण से क्रिया होने की रीति ढंग का बोध होता है।
- रीतिवाचक क्रिया – विशेषण शब्द ये हैं- धीरे-धीरे, ज्यों-त्यों, कैसे, ऐसे, वैसे, जैसे तैसे अचानक आदि ।
- परिमाण वाचक क्रियाविशेषण से परिमाण (मात्रा) का बोध होता है।
- परिमाण वाचक क्रिया-विशेषण के शब्द ये है- कम, अधिक, बहुत, थोड़ा, ज्यादा काफी, इतना, कितना, उतना बिल्कुल आदि ।
- ‘वह धीरे-धीरे चलने लगा’ यह वाक्य रीतिवाचक क्रिया- विशेषण है। (2023)
- संधि के तीन भेद होते हैं। (2023)
- गद्य की प्रमुख विधा निबंध है । (2023)
- ‘अंधे की लाठी’ लोकोक्ति है। (2023)
- ‘एक अनार सौ बीमार’ का अर्थ वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक है। (2023)
- गद्य की तीन गौण विधाएँ संस्मरण, रिपोर्ताज एवं डायरी है। (2023)
- जो जीता न जा सके उसे अजेय कहते हैं। (2023)
- खून-पसीना एक करना- अधिक मेहनत करना। (2023) प्रयोग – प्रवीण्य सूची में आने के लिए खून पसीना एक कर दिया।
- दाल न गलना – वश न चलना। (2023)
प्रयोग – अदालत में उसकी तनिक भी दाल नहीं गलती । ‘ - पंचवटी’ का समास विग्रह पाँच वटों का समूह है।
- पंचवटी समास द्विगु समास का उदाहरण है। (2023)
- ‘नीलाम्बर’ का समास विग्रह ‘नीला है जो वस्त्र’ है । ‘नीलाम्बर’ समास कर्मधारय समास का उदाहरण है। (2023)
- कहानी – उपन्यास में अन्तर (2023)
- अर्थ की दृष्टि से वाक्य 8 प्रकार के होते हैं। (2024)
- एकांकी विधा एक अंकीय होती है। (2024)
- ‘रामचरितमानस’ का मुख्य छंद चौपाई है। (2024)
- संस्मरण विधा में कल्पना तत्व की प्रधानता नहीं होती। (2024)
- कहानी के छ: तत्व होते हैं। (2024)
- हिन्दी का प्रथम उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ को माना गया है। (2024)
भाषा :- - भावों एवं विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा है।
- भाषा के द्वारा हम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। भाषा की सबसे लघु इकाई वर्ण है।
- ध्वनि चिह्नों को वर्ण कहते हैं।
- वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।
सन्धि :- - संधि का शब्दार्थ मेल या योग है।
- दो या दो से अधिक वर्णों के मेल से जो विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उसे सन्धि कहते हैं। मिले हुए वर्णों को मूल रूप में अलग-अलग कर देना सन्धि-विच्छेद कहलाता है।
- सन्धि के भेद :-
सन्धि तीन प्रकार की होती है – (1) स्वर सन्धि, (2) व्यंजन सन्धि, ( 3 ) विसर्ग सन्धि ।
स्वर सन्धि - जब दो स्वर वर्णों के मेल से विकार या परिवर्तन होता है, तब स्वर सन्धि होती है।
- ‘शिवालय’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘शिव+आलय’ है। यह दीर्घ स्वर सन्धि का उदाहरण है।
- ‘विद्यालय’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘विद्या + आलय’ है, यह दीर्घ स्वर सन्धि का उदाहरण है।
- ‘कपीश’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘कपि+ईश’ है, यह दीर्घ स्वर सन्धि का उदाहरण है।
- ‘भानुदय” शब्द का सन्धि विच्छेद ‘भानु + उदय’ है, यह दीर्घ स्वर सन्धि का उदाहरण है।
- ‘विद्यार्थी’ शब्द का सन्धि विच्छेद विद्या + अर्थी’ है, यह दीर्घ स्वर सन्धि का उदाहरण है।
- ‘महर्षि’ शब्द का सन्धि विच्छेद है ‘महा+ऋर्षि’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘महेन्द्र’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘महा+इन्द्र’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘सर्वोदय’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘सर्व+उदय’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘परमेश्वर’ शब्द का सन्धि विच्छेद परम ईश्वर’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘जितेन्द्रिय’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘जित+इन्द्रिय’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘सदैव’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘सदा+एव’ है, यह गुण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘महौषधि’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘महा+औषधि’ है, यह वृद्धि सन्धि का उदाहरण है।
- ‘प्रत्येक’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘प्रति+एक’ है, यह यण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘अत्याचार’ शब्द का सन्धि विच्छेद अति + आचार’ है, यह यण सन्धि का उदाहरण है ।
- ‘ इति + आदि’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘इत्यादि’ है, यह यण सन्धि का उदाहरण है।
- ‘नयन’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘ने+अन’ है। इसमें अयादि सन्धि है।
- ‘नायक’ शब्द का सन्धि विच्छेद नै+अक’ है। इसमें अयादि सन्धि है।
- ‘नाविक’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘नौ+इक’ है। इसमें अयादि सन्धि है ।
व्यंजन सन्धि - ‘जगदीश’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘जगत् + ईश’ है।
- ‘दिगम्बर’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘दिक अम्बर’ है ।
- ‘वागीश’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘वाक् + ईश’ है।
- ‘सज्जन’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘सत्+जन’ है ।
विसर्ग सन्धि - ‘निष्पाप’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘नि:+पाप’ है ।
- ‘मनोयोग’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘मनः + योग है ।
- ‘निस्सार’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘नि:+सार’ है ।
- ‘निरक्षर’ शब्द का सन्धि विच्छेद ‘निः+अक्षर’ है ।
समास - समास का मूल अर्थ है ‘संक्षेप’ ।
- दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी नवीन शब्द की रचना करते हैं तो इस मिलने की क्रिया को समास कहते हैं।
- समास छः प्रकार के होते हैं।
द्वन्द समास :- इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं परन्तु उनके संयोजक शब्द ‘और’ का लोप हो जाता है।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
हिन्दू-मुस्लिम हिन्दू और मुस्लिम द्वन्द्व समास
माता-पिता माता और पिता द्वन्द्व समास
गलत-सलत गलत और सलत द्वन्द्व समास
भाई-बहन भाई और बहन द्वन्द्व समास
राजा-रानी राजा और रानी द्वन्द्व समास
रात-दिन रात और दिन द्वन्द्व समास
पाप-पुण्य पाप और पुण्य द्वन्द्व समास
द्विगु समास: जिस समास में प्रथम पद संख्यावाची होता है, वह द्विगु समास कहलाता है।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
त्रिफला तीन फलों का समूह द्विगु समास
सप्तर्षि सात ऋषियों का समूह द्विगु समास
नवग्रह नौ ग्रहों का समूह द्विगु समास
पंचतंत्र पाँच तंत्रों का समूह द्विगु समास
चौराहा चार रास्तों का समूह द्विगु समास
पंचवटी पाँच वटों का समूह द्विगु समास
सप्तद्वीप सात द्वीपों का समूह द्विगु समास
कर्मधारय समास: जिस समास में प्रथम पद विशेषण या उपमेय और दूसरा पद विशेष्य या उपमान हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
महामानव महान है जो मानव कर्मधारय समास
सुलोचना सुंदर लोचनें हैं जिसके कर्मधारय समास
महात्मा महान है जो आत्मा कर्मधारय समास
नीलगगन नीला है जो गगन कर्मधारय समास
पीताम्बर पीला है जो वस्त्र कर्मधारय समास
नीलांबर (2023) नीला है जो अम्बर कर्मधारय समास
बहुव्रीहि समास: जिस समास में प्रथम एवं दूसरे पद के अतिरिक्त अन्य कोई पद प्रधान होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
दशानन दस हैं जिसके आनन बहुव्रीहि समास
चतुरानन चार मुखों वाला बहुव्रीहि समास
त्रिनेत्र तीन नेत्रों वाला बहुव्रीहि समास
दशग्रीव दस हैं जिसके ग्रीवा बहुव्रीहि समास
नीलकंठ नीला है जिसका कंठ बहुव्रीहि समास
षडानन छह मुख वाला बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास: जिस समास में प्रथम पद अव्यय और अंत पद के रूप में प्रधान होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समास
प्रतिदिन प्रत्येक दिन अव्ययीभाव समास
यथायोग्य योग्यता के अनुसार अव्ययीभाव समास
सम्हित संयोजन के लिए अव्ययीभाव समास
अमर्याद मर्यादा से बाहर अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास: जिस समास में अन्य पद के स्थान पर एक ही प्रधान पद होता है, वह तत्पुरुष समास कहलाता है।
शब्द समास-विग्रह समास का नाम
आत्मसमर्पण आत्म का समर्पण तत्पुरुष समास
परलोक पर लोक तत्पुरुष समास
जनप्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधि तत्पुरुष समास
अनुष्ठान अनु के साथ ठहरना तत्पुरुष समास
गृहस्वामी घर का स्वामी तत्पुरुष समास
संधि और समास में अंतर:
संधि समास
संधि तीन अक्षरों की होती है। समास दो अक्षरों से होती है।
संधि में कोई पद नहीं होता है ऐसा पद, जो पूर्ण हो। समास में दोनों पद पूर्ण रूप से रहते हैं।
संधि में से दोनों पदों को खोल नहीं सकते। समास में से पदों का मेल अलग हो सकता है।
शब्द शक्ति
परिभाषा :- शब्द के अर्थ का बोध कराने वाली शक्ति ही शब्दशक्ति कहलाती है। शब्दशक्ति तीन प्रकार की होते हैं।
अ. अभिधा ब. लक्षणा स. व्यंजना
अ. अभिधा : अभिधा का अर्थ किसी शब्द का साधारण अर्थ है।
उदाहरण- राम पानी पीता है।
ब. लक्षणा – जिस शक्ति से मुख्य अर्थ से सम्बंध रखने वाला अन्य अर्थ प्रकट होता है वह लक्षणा शब्द शक्ति कहलाती है।
उदाहरण- लड़का शेर है ।
स. व्यंजना- जब किसी शब्द का अर्थ मुख्यार्थ या लक्ष्यार्थ से अलग होकर, वाक्य के सन्दर्भ के अनुसार अलग- अलग अर्थ या व्यंग्यार्थ में प्रकट हो, वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग होता है।
उदाहरण – रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून
काव्य बोध
- करुण रस का स्थायी भाव शोक है। (2022)
- प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ चौपाई छन्द में होती है (2022)
- ‘मूरत मधुर मनोहर देखी’ पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है । (2022)
- सोरठा छन्द में चार चरण होते हैं। (2022)
- उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं। (2022)
- महाकाव्य-खण्डकाव्य में अन्तर (2022)
- आचार्य विश्वनाथ के अनुसार काव्य की परिभाषा इस प्रकार है- ‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम् ‘ अर्थात् रस युक्त वाक्य ही काव्य है। (2024)
- जहाँ एक ही वर्ण की आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। (2024)
- सहृदय (व्यक्ति) के हृदय में जब हास (हँसी) का भाव उत्पन्न होता है वहाँ हास्य रस होता है। (2024)
- ‘भूषण’ रीतिकालीन कवि थे । ( 2023)
- ‘दसवे’ रस का नाम वात्सल्य है। (2023)
- प्रबन्ध काव्य के 2 भेद होते हैं। (2023)
- मानवी क्रियाओं का आरोप मानवीकरण अलंकार है। (2023)
- रस के 4 अंग होते हैं। (2023)
- दोहा एक सममात्रिक छन्द नहीं है। (2023)
अलंकार- पाठ 2
- बालकु बोलि बधों नहि तोहि- पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है ।
- कोटि कुलिस सम वचनु तुम्हारा पंक्ति में अनुप्रास व उपमा अलंकार दोनों ही हैं।
- दोहा मात्रिक छन्द का प्रकार है, इसमें 24 मात्राएँ, चार चरण तथा 13-11 मात्रा पर यति होती है।
- चौपाई मात्रिक छन्द का प्रकार है, इसमें चार चरण तथा प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं । (2023)
- शब्द के जिस व्यापार (व्यक्त) से मुख्य अर्थ तथा लक्ष्य अर्थ से अलग अर्थ का बोध होता है, उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं।
- अभिधा शब्द शक्ति वह होती हैं जिसमें सामान्य शब्दार्थ की जानकारी हो जाती है।
- लक्षणा शब्द शक्ति से शब्द के मुहावरेदार अथवा आलंकारिक अर्थ का ज्ञान होता है।
- पाठ राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद में ‘सहस बाहु सम सो रिपु मोरा’ पंक्ति में उपमा अलंकार है।
- जहाँ निर्जीव वस्तुओं को मानव के समान प्रस्तुत किया जाता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
- जहाँ एक ही शब्द का समान अर्थ में एक से अधिक बार प्रयोग होता है वहाँ पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार होता है। (2024)
- जहाँ कोई बात आवश्यकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर कही जाए, वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है। (2022)
- जहाँ अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत अर्थ का बोध कराया जाए वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। (2023)
- प्रयोगवादी काव्य में नये उपमानों का प्रयोग किया है, इस काव्य में बुद्धि की प्रधानता व मुक्त छंदों का प्रयोग है।
- प्रगतिवादी काव्य में शोषितों से सहानुभूति दिखाई गयी है तथा ईश्वर के प्रति अनास्था का भाव भी समाहित है ।
- रीतिकाल में अनुभूति की गहराई, प्रबलता व विरह वेदना की सरस अभिव्यक्ति में हुई है।
- नई कविता में कवियों ने लघुमानवतावाद की प्रतिष्ठा व क्षणवाद के महत्त्व, जीवन के प्रत्येक क्षण के महत्त्व को माना है।
- मानवीकरण अलंकार
जब निर्जीव वस्तुओं या प्राकृतिक तत्वों को मानवीय गुण प्रदान किए जाते हैं, तब मानवीकरण अलंकार होता है।
उदाहरण:
“प्यारे जागते हुए हारे सब तारे तुम्हें जागो एक बार।” - अतिशयोक्ति अलंकार
जब किसी बात का वर्णन वास्तविकता से बढ़-चढ़ कर किया जाता है, तब अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण:
“हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग
लंका सारी जरि गई, गये निसाचर भाग।” - पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
जब किसी शब्द या वाक्यांश को बार-बार दोहराया जाता है, तब पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है।
उदाहरण:
‘पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलाही’। - अन्योक्ति अलंकार
जब कोई बात कही जाती है लेकिन उसका अर्थ कुछ और होता है, तब अन्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण:
“माली आवत देखकर कलियन करि पुकार
ले-फूले चुनि लिए, कालि हमारी बार।”
रीतिकाल (सन् 1600-1850 तक)
• विशेषताएँ: अनुभूति की गहराई, विरह वेदना का चित्रण।
• प्रमुख कवि:
o केशवदास – ‘कविप्रिया’
o बिहारी – ‘बिहारी सतसई’
प्रगतिवाद (सन् 1936-1943 तक)
• विशेषताएँ:
o सामाजिक यथार्थ का चित्रण।
o प्रतीकों का प्रयोग।
o यथार्थवादी दृष्टिकोण।
• प्रमुख कवि:
o नागार्जुन – ‘युगधारा’
o त्रिलोचन – ‘धरती’
आधुनिक काल का विभाजन और प्रमुख कवि: - भारतेन्दु युग (सन् 1850-1900 तक):
o प्रमुख कवि: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र - द्विवेदी युग (सन् 1900-1920 तक):
o प्रमुख कवि: अयोध्यासिंह हरिऔध - छायावादी युग (सन् 1920-1936 तक):
o प्रमुख कवि: जयशंकर प्रसाद - प्रगतिवादी युग (सन् 1936-1943 तक):
o प्रमुख कवि: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ - प्रयोगवादी युग (सन् 1943-1950 तक):
o विशेषताएँ: निराशावाद की प्रधानता, मुक्तछंदों का चयन।
o प्रमुख कवि: अज्ञेय – ‘हरी घास पर क्षण भर’ - नई कविता (सन् 1950 से आज तक):
o विशेषताएँ: लघुवाद की प्रतिष्ठा, नए बिम्बों की खोज।
o प्रमुख कवि:
मुक्तिबोध – ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है।’
भवानी प्रसाद मिश्र – ‘सन्नाटा’
नरेश मेहता – ‘उत्सव’
क्रम हिन्दी पद्य साहित्य का इतिहास काल विभाजन
1 आदिकाल (वीरगाथा काल) सन् 993 ई. से सन् 1318 तक
2 भक्तिकाल (पूर्वमध्यकाल) सन् 1318 ई. से सन् 1643 तक
3 रीतिकाल (उत्तर मध्यकाल) सन् 1643 ई. से सन् 1843 तक
4 आधुनिक काल (वर्तमान काल) सन् 1843 ई. से निरन्तर
नोट्स: - शृंगार रस तब उत्पन्न होता है जब सहृदय के हृदय में या नायक-नायिका के मन में प्रेम उत्पन्न होता है। (2023)
- प्रगतिवादी कवि में मुक्तिबोध प्रमुख हैं। (2024)
- आधुनिक हिन्दी कविता का आरम्भ संवत् 1900 से माना जाता है। (2024)
- छन्द के दो प्रकार होते हैं: मात्रिक छन्द और वर्णिक छन्द। (2024)
- दोहा छन्द की प्रथम एवं तृतीय पंक्ति में 13-13 मात्राएँ होती हैं। (2024)
कृतिका भाग 2
पाठ 1
माता का आँचल
लेखक – शिवपुजन सहाय
• शिवपूजन सहाय का जन्म गाँव उनवाँस जिला भोजपुर (बिहार) में हुआ था । शिवपूजन सहाय का बचपन का नाम भोलानाथ था ।
• शिवपूजन रचनावली के चार खण्डों में शिवपूजन सहाय की सम्पूर्ण रचनाएँ प्रकाशित हैं।
• ‘देहाती दुनिया’ उपन्यास के लेखक शिवपूजन सहाय हैं।
• भोलानाथ का असल नाम तारकेश्वरनाथ था। (2022)
• अमनियाँ का अर्थ है- साफ करना।
• साँप निकलने पर डरकर भागे भोलानाथ मइयाँ के आँचल में छिपे ।
• भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाते थे। क्योंकि बालकों का सहज स्वभाव होता है कि वे साथियों की शरारत व मस्ती देखकर सब भूल जाते हैं। (2022)
• भोलानाथ के पिता उन्हें फूल के कटोरे में गोरस भात खिलाते थे ।
• ‘माता के आँचल’ पाठ में दो लड़के मिलकर मोट खींचते है।
• भोलानाथ के पिता शिवजी के भक्त थे।
• ‘माता का अँचल’ पाठ में बाबूजी सुबह-सुबह रामायण का पाठ करते थे ।
• शिवपूजन सहाय मुख्यत: गद्य के लेखक हैं।
• भोलानाथ पूजा के समय मस्तक पर भभूत का तिलक लगाते थे । (2023)
• भोलानाथ और उनके पिताजी कभी-कभी कुस्ती भी लड़ते थे ।
• भोलानाथ और उनके साथी चूहों के बिल से पानी उलीचने लगे ।
• लड़के और बन्दर पराई पीर नहीं समझते।
• भोलानाथ के पिता रामनामा बही’ में हजार बार राम-राम लिखते थे ।
• भोलानाथ के पिता आटे की 500 गोलियाँ मछलियों को खिलाते थे । (2023)
• भोलानाथ और उसके साथी अमोले को घिसकर शहनाई बजाते थे ।
• बरखा के बन्द होते ही बाग में बहुत से बिच्छू नजर आए।
• विपदा के समय भोलानाथ मइयाँ के अँचल में जाकर छिप जाता है।
• भोलानाथ अपने पिताजी को ‘बाबूजी’ और माता को ‘मइयाँ’ कहकर पुकारते थे ।
• बचपन में भोलानाथ का अधिकांश समय अपने पिता के सानिध्य में गुजरता था ।
• भोलानाथ के बाबूजी की नहाने वाली चौकी रंगमंच बनाने के काम आती थी।
• भोलानाथ व उनके साथी अपने घरौंदे के किवाड़ (दरवाजे ) दियासलाई की डिबिया से बनाते थे ।
• भोलानाथ व उनके साथी टूटी चूहेदानी से पालकी बनाते थे ।
• आम के उगते हुए पौधे को ‘अमोला’ कहते हैं ।
• मकई के खेत में चिड़ियों का झुण्ड चर रहा था।
• भोलानाथ जैसे बच्चों को वस्तुएँ सुलभता से व बिना मूल्य खर्च किए ही प्राप्त हो जाती है परंतु आज के बच्चों की खेल सामग्री मूल्य खर्च करने पर ही प्राप्त होती है। (2023)
• हिन्दी का प्रथम उपन्यास लाला श्रीनिवास दास जी का ‘परीक्षा गुरु’ है। (2024)
साना साना हाथ जोड़ी
लेखक- मधु कांकरिया
• सिक्किम राज्य की राजधानी गंतोक है।
• ‘साना-साना हाथ जोड़ि . ‘ में हिमालय यात्रा का वर्णन है।
• टॉक (तोक) का अर्थ है- पहाड़।
• ‘साना-साना हाथ जोड़ि..’ का अर्थ है छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना करना। (2024)
• हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी ‘कंचनजंघा ‘ है । (2023)
• टॉक से 149 किलोमीटर की दूरी पर यूमथांग था।
• लेखिका मधु कांकरिया के ड्राइवर-कम-गाइड का नाम जितेन नार्गे था। सफेद-सफेद
• बौद्ध पताकाएँ शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं।
• बुद्धिस्ट की मृत्यु होने पर 108 श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं।
• नए कार्य की शुरुआत के लिए रंगीन पताकाएँ लगा दी जाती हैं।
• ‘कवी-लोंग स्टॉक’ में ‘गाइड’ फिल्म की शूटिंग हुई।
• ‘प्रेयर-व्हील’ को घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं, इसे धर्म-चक्र भी कहते हैं। (2023)
• सिलीगुड़ी से हमारे साथ थी- ‘तिस्ता नदी’ ।
• शिखर से गिरता वाटर फॉल- ‘सेवन सिस्टर्स वाटर फाल’ नाम था।
• यूमथांग की घाटियों में प्रियुता और रूडोडेंड्रों के फूल खिलते हैं।
• लेखिका ने गंगटोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा है।
• मणि ने पहाड़ी कुत्तों की विशेषता बताई कि ये केवल चाँदनी रात मे ही भौंकते हैं।
• जितेन ने देवी-देवताओं के निवास वाली जगह का नाम खेदुम बताया।
• लेखिका मधु कांकरिया ने ‘साना-साना हाथ जोड़ि ..’ प्रार्थना के बोल एक नेपाली युवती से सीखे।
• पहाड़ी इलाके का जीवन कठोर है।
• चाय के हरे-हरे बागानों में कई युवतियाँ बोकु (सिक्किमी परिधान पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थी ।
• लाग में लेखिका तिस्ता नदी के तीर पर बसे लकड़ी के एक छोटे से घर में ठहरीं ।
• लायुंग में अधिकतर लोगों की जीविका का साधन पहाड़ी आलू, धान की खेती और दारू का व्यापार है ।
• ‘कटाओ’ यानी भारत का स्विट्जरलैंड है।
• ‘कटाओ’ लायुंग से 500 फीट ऊँचाई पर था ।
• मिल्टन ने ईव की सुंदरता का वर्णन करते हुए लिखा था कि शैतान भी उसे देखकर ठगा सा रह जाता था और दूसरों का अमंगल करने की वृत्ति भूल जाता था ।
• ‘फेरी भेटुला’ का अर्थ होता है ‘फिर मिलेंगे’ ।
• ‘मंजिल’ से कहीं ज्यादा रोमांचक होता है मंजिल तक का सफर ।
• जब सिक्किम स्वतंत्र रजवाड़ा था तब टूरिस्ट उद्योग वहाँ इतना फला-फूला नहीं था ।
• कटाओ में बर्फ से ढके पहाड़ चाँदी की तरह चमक रहे थे। (2023)
• पर्वतीय सुन्दरता मन को भाती है। (2024)
• सिक्किम के लोगों का विश्वास है कि गंदगी फैलाने से मृत्यु हो जाती है।
• कटाओ से आगे बढ़ने पर लेखिका को इक्की – दुक्की फौजी छावनियाँ दिखाई दीं। ‘कटाओ’ जाने का मार्ग दुर्गम है।
• हिमपात का आनंद लेने की आशा से लेखिका लाचुंग पहुँची थी।
• रहस्यमयी तारों भरी रात लेखिका मधु कांकरिया के मन में सम्मोहन जगा रही थी ।
• लायुंग की सुबह बेहद शांत और सुरम्य थी।
• भारतीय आर्मी के कप्तान शेखर दत्ता ने यूमथांग को टूरिस्ट स्पॉट बनाने में सहयोग दिया ।
• खेदुम का एरिया लगभग एक किलोमीटर का है।
• रकम रकम का अर्थ है तरह-तरह ।
• ‘कवी-लोंग स्टॉक’ में तिब्बत के ‘चीस-खे बम्सन’ ने लेपचाओं के शोमेन से कुंजतेक के साथ संधि-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
• ‘कवी – लोंग स्टॉक’ में एक पत्थर स्मारक के रूप में है यह स्मारक पत्थर सिक्किम की स्थानीय जातियों के बीच झगड़ों के बाद शांति वार्ता की शुरुआत स्थल है।
• डोको का अर्थ है- बड़ी टोकरी ।
• पहाड़ों पर रास्ता बनाना बड़ा दुसाध्य कार्य है।
• लेखिका ने एक बार पलामू और गुमला के जंगलों में पीठ पर बच्चे को कपड़े में बाँधकर पत्तों की तलाश में वन-वन डोलती आदिवासी युवतियों को देखा ।
• गतोक एक पर्वतीय स्थल है। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहाँ की स्थितियाँ बड़ी कठिन हैं। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहाँ के लोग मेहनत करने से घबराते नहीं ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त रहते हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है।
मैं क्यों लिखता हूँ
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय
• ‘अज्ञेय’ का जन्म सन् 1911 में उ.प्र. के देवरिया जिले में हुआ ।
• क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण अज्ञेय को जेल जाना पड़ा। अज्ञेय द्वारा संपादित तार सप्तक है।
• रचनाकार की भीतरी विवशता ही उसे लेखन के लिए मजबूर करती है।
• प्रत्यक्ष अनुभव जब अनुभूति का रूप धारण करती है तभी रचना होती है।
• अनुभव के बिना अनुभूति नहीं होती ।
• ‘मैं क्यों लिखता हूँ ?” यह प्रश्न बड़ा कठिन है।
• लिखकर ही लेखक उसकी अभ्यांतर विवशता को पहचानता है।
• ‘उन्मेष’ का अर्थ होता है- प्रकाश, दीप्ति ।
• लेखक अज्ञेय विज्ञान विषय के विद्यार्थी रहे हैं।
• हिरोशिमा में अणु बम गिरा था। (2023), (2022)
• सैनिक ब्रह्मपुत्र में बम फेंक कर हजारों मछलियाँ मार देते थे ।
• लेखक अज्ञेय ने हिरोशिमा के अस्पताल में देखा कि रेडियम पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे हैं।
• लेखक अज्ञेय ने घूमते हुए देखा कि एक जले हुए पत्थर पर एक लम्बी उजली छाया है।
• लेखक ने हिरोशिमा नामक कविता रेलगाड़ी में बैठे-बैठे लिखी ।
• सन् 1959 में ‘अरी ओ करुणा प्रभामय’ काव्य-संग्रह में अज्ञेय की ‘हिरोशिमा’ कविता प्रकाशित हुई । लेखन में कृतिकार के स्वभाव और आत्मानुशासन का महत्त्व है।
• अज्ञेय ने हिरोशिमा कविता भारत लौटकर लिखी। (2024 पूरक)
• हिरोशिमा जापान में है।
• अज्ञेय ने एटम बम को मानव निर्मित सूरज कहा है।
• जापान यात्रा के दौरान जब लेखक अज्ञेय ने पत्थर में मानव की उजली छाया देखी तब अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता महसूस किया।
• लेखक अज्ञेय कभी बाहरी दबाव के कारण, कभी भीतरी विवशता के कारण, कभी संपादकों के आग्रह से, कभी प्रकाशकों के कारण, कभी आर्थिक आवश्यकता के कारण लिखते हैं।
• हिरोशिमा पर अणु बम 6 अगस्त, 1945 को फेंका गया ।