MP School Session 2025-26 Start : A Reality Check सत्र 2025-26 की हकीकत पर एक सच्ची रिपोर्ट

Dreams on Paper, Silence in Reality योजनाओं में सपना, हकीकत में सन्नाटा

MP School Session 2025-26 Start : मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने 2025-26 के नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 अप्रैल से करने का दावा किया था। वादा था कि जल्दी MP School Session 2025-26 Start से बच्चों को पढ़ाई का अतिरिक्त समय मिलेगा, गैर-शैक्षणिक कार्य छुट्टियों से पहले निपट जाएंगे और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। लेकिन हकीकत में अप्रैल का महीना एक खोया हुआ मौका बनकर रह गया। किताबें अलमारियों में बंद रहीं, कक्षाएँ खाली पड़ीं और कैलेंडर की तारीखें सिर्फ कागजों पर चमकती रहीं। आइए, इस सच्चाई को बेनकाब करते हैं और जानते हैं कि आखिर अप्रैल 2025 में स्कूलों का हाल क्या रहा !

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The Official April 2025 Calendar अप्रैल 2025 का आधिकारिक कैलेंडर

कागज पर देखें तो एमपी बोर्ड का अप्रैल 2025 कैलेंडर गतिविधियों से भरा हुआ लगता है। यह रहा पूरा शेड्यूल:

  • 1 अप्रैल: नवीन शिक्षण सत्र प्रारंभ, पालक-शिक्षक संघ बैठक
  • 2 अप्रैल: प्राचार्य द्वारा स्टाफ बैठक
  • 3 अप्रैल: पुस्तकालय निधि सत्यापन, ओजस यूथ क्लब गठन
  • 4 अप्रैल: पीटीए/एसएमडीसी कैश बुक सत्यापन
  • 5 अप्रैल: प्राचार्य द्वारा कार्यालय निरीक्षण
  • 6 अप्रैल: अवकाश
  • 7 अप्रैल: विश्व स्वास्थ्य दिवस, ब्रिज कोर्स प्रारंभ (कक्षा 9)
  • 8 अप्रैल: स्कूल सुधार कार्य (फर्नीचर, पेयजल, शौचालय, मरम्मत) प्रारंभ
  • 9 अप्रैल: करियर काउंसलिंग प्रारंभ (9–30 अप्रैल)
  • 10 अप्रैल: अवकाश (महावीर स्वामी जयंती)
  • 11 अप्रैल: मासिक पाठ्यक्रम विभाजन
  • 12 अप्रैल: चार सदनों का निर्माण (बाल सभा)
  • 13 अप्रैल: जलियांवाला बाग दिवस
  • 14 अप्रैल: अवकाश (अंबेडकर जयंती)
  • 15 अप्रैल: ग्रीष्मावकाश कार्य प्राथमिकता, क्रीड़ा निधि सत्यापन
  • 16 अप्रैल: प्राचार्य-लिपिकीय स्टाफ बैठक
  • 17 अप्रैल: कैशबुक/स्टॉक पंजी सत्यापन
  • 18 अप्रैल: अवकाश (गुरु तेग बहादुर जयंती, गुड फ्राइडे)
  • 19 अप्रैल: पोर्टल अपडेट
  • 20 अप्रैल: अवकाश
  • 21 अप्रैल: नव प्रवेशित छात्रों का प्रोफाइल, उन्मुखीकरण कार्यक्रम
  • 22 अप्रैल: विश्व पृथ्वी दिवस, एसएमसी/पीटीए बैठक
  • 23 अप्रैल: विश्व पुस्तक दिवस, पुस्तक सप्ताह प्रारंभ (23–29 अप्रैल)
  • 24 अप्रैल: प्रयोगशाला निधि और उपकरण सत्यापन
  • 25 अप्रैल: शाला सुरक्षा और आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल
  • 26 अप्रैल: स्काउट/गाइड निधि सत्यापन
  • 27 अप्रैल: ग्रीष्मावकाश प्रोजेक्ट, समर कोचिंग योजना
  • 28 अप्रैल: शिक्षक समस्या निवारण शिविर
  • 29 अप्रैल: पुस्तक सप्ताह समापन
  • 30 अप्रैल: अवकाश (परशुराम जयंती)
MP School Session 2025-26 Start

कागज पर यह शेड्यूल भव्य और सुनियोजित लगता है। लेकिन जमीनी हकीकत इसे “टाइम पास महीना” साबित करती है।

Ground Reality: More Paperwork Than Teaching जमीन की हकीकत: पढ़ाई से ज्यादा कागजों का खेल

अप्रैल में स्कूल खुले जरूर, लेकिन पढ़ाई गायब रही। आइए देखें कि आखिर हुआ क्या:

1. Board and Local Exam Evaluations बोर्ड और स्थानीय परीक्षा मूल्यांकन

शिक्षकों का अधिकांश समय बोर्ड परीक्षाओं और स्थानीय परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच में निकल गया। समय-सीमा में कॉपियाँ जाँचने का दबाव इतना था कि कक्षाओं में पढ़ाई का समय ही नहीं बचा।

2. Formalities and Reporting औपचारिकताएँ और रिपोर्टिंग

बैठकें, कैशबुक सत्यापन, पोर्टल अपडेट और दस्तावेज़ तैयार करने जैसे कामों में शिक्षकों का पूरा दिन निकल गया। ये गैर-शैक्षणिक कार्य इतने भारी थे कि शिक्षण कार्य पीछे छूट गया।

3. Student Absenteeism विद्यार्थियों की अनुपस्थिति

कई छात्र अपने वार्षिक परिणामों का इंतज़ार कर रहे थे, जिसके कारण अप्रैल में स्कूल आने का उत्साह नहीं दिखा। उपस्थिति दर बेहद कम रही और जो छात्र आए भी, वे बिना किताबों के खाली हाथ लौट गए।

4. No Book Distribution पुस्तक वितरण न होना

नई कक्षाओं की किताबें अप्रैल में वितरित नहीं हुईं। बिना किताबों के शिक्षक पढ़ाई कैसे शुरू करते? यह सबसे बड़ी विफलता रही।

Why Did April 2025 Fail? अप्रैल सत्र का मकसद क्यों फेल हुआ?

सरकार का दावा था कि अप्रैल से सत्र शुरू करने से:

  • बच्चों को पढ़ाई का अतिरिक्त समय मिलेगा।
  • छुट्टियों से पहले गैर-शैक्षणिक कार्य पूरे हो जाएंगे।
  • सत्र में पढ़ाई का नुकसान कम होगा।

लेकिन हकीकत इसके उलट रही:

  • खाली कक्षाएँ: स्कूल खुले, लेकिन छात्र और पढ़ाई गायब।
  • पढ़ाई की शुरुआत नहीं: किताबें न होने और मूल्यांकन के बोझ ने पढ़ाई को रोका।
  • गैर-शैक्षणिक कार्यों का दबाव: सत्यापन, बैठकें और कागजी कामों ने शिक्षकों को बांधे रखा।
  • प्रशासनिक निगरानी का अभाव: स्कूलों की स्थिति पर कोई ठोस मॉनिटरिंग नहीं हुई।

Teachers’ Plight शिक्षकों की स्थिति

शिक्षक दोहरे दबाव में रहे:

  • मूल्यांकन का बोझ: बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों का ढेर शिक्षकों की टेबल पर था। समय-सीमा में जांच पूरी करने की मजबूरी ने पढ़ाई को हाशिए पर धकेल दिया।
  • औपचारिकताओं का जाल: कैशबुक सत्यापन, बैठकें और पोर्टल अपडेट जैसे कामों की डेडलाइन ने शिक्षकों को कक्षा से दूर रखा।

Students’ Situation विद्यार्थियों की स्थिति

  • परिणाम का इंतज़ार: कई छात्र अप्रैल को “छुट्टी का महीना” मानकर स्कूल नहीं आए।
  • अभिभावकों की उदासीनता: कई माता-पिता ने बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी नहीं समझा।
  • बिना किताबों की कक्षाएँ: जो छात्र आए, उनके पास न किताबें थीं, न पढ़ाई का माहौल।

April: A Month of Time Pass अप्रैल: एक टाइम पास महीना

अप्रैल 2025 की तस्वीर कुछ ऐसी रही:
“सुबह स्कूल खुलता है, शिक्षक बैठक में, विद्यार्थी मैदान में, किताबें अलमारी में, और दिन का अंत कागजी कामों के साथ।”

The Impact इसका असर

  • पढ़ाई पर चोट: अप्रैल का पूरा महीना व्यर्थ जाने से सत्र की शुरुआत कमजोर रही।
  • छात्रों की मानसिकता: पढ़ाई की शुरुआत न होने से लापरवाही बढ़ी।
  • सरकारी योजना की साख: “अप्रैल से सत्र शुरू” का दावा अब कागजी नारा लगता है।

The Way Forward सुधार की जरूरत

अप्रैल को वास्तव में शैक्षणिक सत्र का हिस्सा बनाने के लिए ये कदम जरूरी हैं:

  1. पढ़ाई पर जोर: पहले दिन से सिलेबस पढ़ाना शुरू हो।
  2. गैर-शैक्षणिक कार्य कम करें: अप्रैल में पढ़ाई को प्राथमिकता दें, बाकी कार्य छुट्टियों के बाद हों।
  3. मूल्यांकन के लिए अलग व्यवस्था: ताकि शिक्षक कक्षा में पढ़ाई पर ध्यान दे सकें।
  4. पुस्तकों का समय पर वितरण: सत्र शुरू होते ही किताबें उपलब्ध हों।
  5. छात्र उपस्थिति बढ़ाएँ: अभियान चलाकर छात्रों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें।

Conclusion निष्कर्ष

अप्रैल 2025 मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए एक खोया हुआ महीना साबित हुआ। न पढ़ाई शुरू हुई, न कैलेंडर का सही पालन हुआ, न छात्रों की उपस्थिति बढ़ी। यह समय है कि शिक्षा विभाग इस विफलता से सबक ले और 2026-27 के सत्र को बेहतर बनाए वरना, “कैलेंडर टांगने और फाइल भरने” का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

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